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Jul 5, 202316 min

मैं वस्त्रों के साथ चमत्कार कर सकती हूँ! क्या होते है कपड़े से बने शिल्प (Textile Crafts) ?

Updated: Mar 3

वस्त्र शिल्प में संशोधन/हेरफेर तकनीक

क्या होते है कपड़े से बने शिल्प (Textile Crafts) ?

टेक्सटाइल वह कपड़ा या उत्पाद होता है जिनको रेशें या रेशें के धागों से बुनाई या अन्य उचित (suitable) तकनीकों से कारखानों (factory) में तैयार किया जाता है! टेक्सटाइल क्राफ्ट जिसका अर्थ है "कपड़े से बने शिल्प" ! यह दो शब्दों से मिल कर बना है कपड़ा और हस्तकला जिसमे विशेष प्रकार के कौशल की आवश्यकता होती है! तकनीकों और कपड़े में इस तरह से संतुलन रखा जाता है जिससे नए वस्तु का आविष्कार किया जा सकता है! टेक्सटाइल क्राफ्ट में धागे और कपड़े में हेर-फेर या कुछ बदलाव करके, कपड़े को कार्यानात्मक (creative) और सजावट (decorative) के उद्देश्य से बनाया जाता है! चूंकि परिधान धागे और कपड़ों से बने सबसे प्रमुख उत्पाद हैं, इसलिए इस श्रेणी को अक्सर वस्त्रों के पर्याय के रूप में प्रयोग किया जाता है यहाँ यह समझना महत्वपूर्ण है कि कपड़ा शिल्प का उपयोग उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला बनाने के लिए किया जा सकता है जो या तो परिधान में सहायक उपकरण के रूप में उपयोग किए जाते हैं क्योकि यह हमेशा से सबसे महत्त्वपूर्ण उत्पाद रहे है जिसमे धागों से कपड़ा फिर कपड़े से परिधान (apparel) बनाया जाता है जिसका इस्तेमाल मनुष्य अपने विभिन्न जरूरत के अनुसार करता है! यह भी एक कपड़ा के उद्योग (industry) क्षेत्र का भाग है जिसको अक्सर टेक्सटाइल का ही रूप समझ लिया जाता है! परन्तु यहाँ पर ये बात समझना आवश्यक है कि कपड़े से बने क्राफ्ट्स ( crafts)) से कई प्रोडक्ट्स (products) बनाये जा सकते है जिनको इस्तेमाल में लाया जा सकता है ! इनका प्रयोग परिधान (apparel) के उपकरण (accessories) में जैसे किनारी, फूल, बेल्ट ,पॉकेट के रूप में किया जाता है या तो चाहे इनका इस्तेमाल हम गैर-परिधान (non-apparel) के उद्देश्य से मतलब जिनको पहना नहीं जा सकता है लेकिन उनका इस्तेमाल अन्य कामों के लिए किया जा सकता है ! जैसे घर की सजावट में, बच्चो के खिलौने बनाने के लिए और घर के सामान को बनाना जैसे पेन होल्डर , बैग, बास्केट और भी बहुत कुछ ! टेक्सटाइल क्राफ्ट को बनाने की तकनीकों को दो भागों के आधार पर बाँट सकते है ! पहला यार्न / धागों में हेर-फेर या बदलाव करके और दूसरा कपड़े में हेर- फेर या बदलाव करके!

यार्न /धागों में हेर-फेर या बदलाव करके (yarn manipulation):- वीविंग (Weaving), निट्टिंग (Knitting), कुरेशिया (Crochet) , माक्रेमे (Macramé), टंटटिंग/टैटिंग (Tatting), गलीचा बनाना (Rug-making,) ब्रेडिंग/ चोटी बनाना (Braiding )आदि !

कपड़े में हेर-फेर या बदलाव करके (fabric manipulation ):- सिलाई (Sewing) ,कढ़ाई (Embroidery) क्विल्टिंग (Quilting), ऍप्लिके (Applique), पॉचवॉर्क (Patchwork), कपड़े को रंगना (Dyeing), छपाई /प्रिंटिंग (Printing) और पेंटिंग (Painting ).

यार्न/ धागा (yarn) या कपड़े में हेर-फेर या बदलाव (yarn and fabric manipulation) के आधार पर परिभाषित करने के अलावा ,वास्तविकता में जिन तरीकों (technique) से क्राफ्ट(crafts) को बनाया जाता हैं उनको भी दो भागों में बांटा जा सकता है जैसे :- निर्माण की तकनीक (constructional techniques) और कपड़े की सतह पर वृद्धि और सजावट करने की तकनीक (surface enhancement technique)

निट्टिंग (Knitting)

निट्टिंग/ बुनाई एक प्रक्रिया है जिसमे यार्न/धागों को हेर-फेर करके फंदे या अंत फंदे( interloop) बनाये जाते है जो कि वे फंदे आपस में जुड़ कर एक कपड़ा बन जाते है यह एक तरह की निर्माण तकनीक (constructional technique ) है जिसका मतलब है कि सामग्री और उपकरण का इस्तेमाल करके जरुरत अनुसार वस्तु और उपयोग में लाई जा सकने वाली चीजे बनाई जा सके इसके लिए हाथों से की जाने वाली निट्टिंग और मशीन से की जाने वाली निट्टिंग का अभ्यास किया जा सकता है

हाथों से की जाने वाली निट्टिंग ज्यादा तर दो लम्बी सुइयों (needles) और एक या एक अधिक धागों की मदद से की जाती है आपस में जुड़े जो फंदे या अंत फंदे (interloop) को हेर- फेर और कुछ तरीको से बदलाव करके कपड़े में कई प्रकार के निट्टिंग डिज़ाइन बनाये जा सकते है परम्परागत रूप से हाथों से ही निट्टिंग को किया जाता आ रहा है जिसमे ऊनी धागों का इस्तेमाल करके स्वेटर आदि बनाये जाते है जैसे यह तकनीक कोमलता से पर्याप्त है जिसका इस्तेमाल नाजुक धागों के लिए किया जाता है इसी तरह मशीन निट्टिंग को इंडस्ट्रियल फ्रेम (industrial frame) पर किया है और कपड़ा बनाने के लिए यह एक प्रकार की तेज तकनीक मानी जाती है ! निट्टिंग एक वैकल्पिक रूप है वीविंग (weaving) का! जोकि काफी बड़े तौर पर प्रचलित है मशीन निट्टिंग से बना कपड़ा वजन में कम होता है और उसकी बनावट में भी खुलापन होता जिसकी वजह से उस कपड़े मे से हवा आसानी से पास हो जाती है है और पहनने में भी आरामदायक होता है मशीन निट्टिंग से बने कपड़े को होजरी का कपड़ा कहा जाता हैं ये कपड़े वीविंग के कपड़े की तुलना में मुलायम और ज्यादा क्रीज प्रतिरोधी (crease resistance) होते है इसी वजह से मशीन निट्टिंग कपड़ो का इस्तेमाल आतंरिक वस्त्रो और आरामदायक वस्त्रो के लिए होता है !

माक्रमे (Macrame)

माक्रमे (Macrame) एक प्रकार की गाँठधार (knotting) तकनीक है जिसमे तीन या तीन से अधिक यार्न/धागों के सेट की जरूरत पड़ती है एक गाँठ को बनाने के लिए! यह पूरी तरह निर्माण/कंस्टक्शनल तकनीक (constructional technique) पर आधारित होता है यह एक तरीके की हस्तकला है जिसमे काफी समझदारी से धागों में हेर-फेर करके गाँठ का रूप बनाया जाता है जिससे रस्सी जैसा पैटर्न को बनाया जाता है अगर बड़े स्तर पर इन गाँठ से धागों को आपस में जोड़ दिए जाइये तो यह एक खुला कपड़ा जैसा दिखाई देता है!

मैक्रैम कीचेन

जैसे कि गाँठ (knot) गोलाकार और थ्री-डी डायमेंशनल (3-D dimensional) के रूप में होती है! इस प्रकार के शिल्प को धागों और कॉर्ड (cords) की मदद से रचा जाता है! यह केवल उपयोग में लाने वाले प्रोडक्ट या गार्डन टेक्सटाइल के लिए इस्तेमाल करते है और ये जटिल वस्त्रो (intricate textiles) में देखने को मिलते है! इन तकनीक का प्रभावात्मक प्रयोग करके रस्सी जैसे पैटर्न बनाये जा सकते है या खुला कपड़ा जैसे प्लांटर होल्डर (planter holder), बुक होल्डर (book holder),

हाथ पर बांधने वाला बैंड (band), चाबी में लगाने वाला छल्ला (keychain) और भी

बहुत कुछ इत्यादि !

कुरेशिया, टंटटिंग/टैटिंग, लेस बनाना Crochet, Tatting/ Lace making

यह एक तरह के रोचक हस्तकला है जिसमें यार्न /धागों का हेर-फेर (manipulation) या धागों में बदलाव करके शिल्प (craft) का निर्माण करना, इसी पर ही किनारी का काम आधारित है ! कुछ वर्षो पहले जब मशीन से बने किनारी बड़े पैमाने पर उपलब्ध नहीं हुआ करते थे तब हाथ से ही बने इत्यादि शिल्पकालो का अभ्यास किया जाता था! यह दोनों ही निर्माण तकनीक (constructional technique) के आधार पर बनायीं जाती है लेकिन दोनों में इस्तेमाल हुए उपकरण (tools) और बनाने का तरीका (method) अलग है जिससे की आखरी में दोनों की दिखावट अलग-अलग दिखाई देती है! टंटटिंग में यार्न (yarn) को सबसे पहले बोट शॉप (boat shape) (नौका आकर की होती है) शटल (shuttle) पर लपेटा जाता है फिर धागों को हेर- फेर (manipulate) करके किनारी का निर्माण किया जाता है ! इसी तरह क्रोचेट (crochet) जिसे कुरेशिया भी कहा जाता है ! जिसमे एक टूल (tool) इस्तेमाल किया जाता है जो नीडल/सूई जैसा होता है और आगे की तरफ के एक हुक झुका सा होता है जिसे के ऊपर फंदा (loop) बनाया जाता है ! जो किनारी बनाने वाले होते है वो इस कौशल (skill) को ध्यान से करते है! वे गाँठ (knot) और कहाँ से धागे को लपेटना है सूई और शटल से ! वो उस हिसाब से डिज़ाइन अनुसार और अपनी समझ से उन शिल्प (craft) को बना लेते है! इन तकनीकों से बहुत सुन्दर डिज़ाइन वाले किनारी बनाये जाते है लगभग इनकी लंबाई दस मीटर से भी ऊपर की होती है! यह प्रक्रिया थोड़ी मुश्किल होती है और इसमें काफी कौशल (skill) और धैर्य की जररूत होती है!

सिलाई (sewing)

सिलाई एक ऐसी तकनीक है जिससे कपड़े में कई बदलाव करके टेक्सटाइल क्राफ्ट (textile craft) को बनाया जा सकता है और यह विश्वभर में काफी प्रचलन (trend) में है ! यह एक सबसे पहले पाई जाने वाली तकनीक रही होगी! जिसका इस्तेमाल मानव बहुत सदियों पहले से करता आ रहा है! इस तकनीक में ऐसी क्षमता है कि यह साधारण कपड़े को त्रि- आयामी (3-dimensional) वस्त्रो में बदल सकते है चाहे वो परिधान पहनने के हो या गैर -परिधान हो जिनका प्रयोग व्यक्ति रोजमर्रा के जीवन में करता है! इसी दौरान सिलाई को बड़े तौर पर दो भागों में विभाजित किया जा सकता है पहला हाथ से किया जाने वाली सिलाई और दूसरा मशीन से किया जाने वाली सिलाई! इस सिलाई को मिश्रित (combination) रूप में प्रयोग में लाया जाता है जिसका मतलब है कि लगभग सभी वस्तुओ में मशीन से की जाने सिलाई को किया जाता है साथ ही में कुछ बारीक़ और नाजुक कपड़े पर परिसज्जा/फिनिशिंग लाने के लिए हाथ से की जाने वाली सिलाई का प्रयोग भी साथ में होता है ! यह तकनीक ऐसी है जिसमे मिश्रित (combined) काम करना पड़ता है सबसे पहले कपड़े को जरूरत के हिसाब से आकर में काटना पड़ता है और फिर उसको हाथ से सुई का इस्तेमाल करके या फिर मशीन से डिज़ाइन के अनुसार कपड़े को सिला जाता है! हालाँकि कपड़ा को कच्चा सामग्री (raw material) मानते है और करने के तरीके को निर्माण तकनीक (construction technique) में वर्गीकृत किया गया जाता है! सिलाई के अन्य पहलुओं को अगले ब्लोग्स (blogs) में चर्चित किया गया है!

सिलाई मशीन का उपयोग करते समय सुरक्षा सावधानियाँ

सिलाई में गैदर, रफल्स और प्लीट्स

सिलाई मशीन में प्रेसर फुट-प्रकार और उपयोग

बुनियादी सीवन (सीम) और उनका उपयोग कैसे करें

कढ़ाई/ Embroidery

जो तकनीके टेक्सटाइल क्राफ्ट (textile craft) पर इस्तेमाल होती है ज्यादा तर प्रयोग में लाई जाने वाली "कढ़ाई "उसमे से एक है ! जिसको ज्यादा तर वोवन (woven) के कपडे पर किया जाता है ! जैसे कि अन्य तरीको की चर्चा पिछले भागों में की गयी है लेकिन यह तकनीक (technique) या तरीके का इस्तेमाल कपड़े की ऊपरी सतह (surface) को बेहतर बनाने और वृद्धि लाने के लिए किया जाता है! इस प्रक्रिया का इस्तेमाल कपड़े के ऊपर की सतह पर धागों के पैटर्न में लय लाने के लिए करते है! जिसमे धागें कपड़े के सतह के ऊपर या नीचे लगातार बदलते रहते है जिससे कि कपड़े की सुंदरता को बढ़ाया जा सकता है !

हाथ की कढ़ाई के टांके

यह सुई और इच्छा अनुसार धागें का इस्तेमाल करके इसके द्वारा कढ़ाई को किया जा सकता है! और यह सुई आखिर में अपने साथ धागें को लेकर चलती हैं जिससे की एक पैटर्न या डिज़ाइन को रचा जाता है!

कढ़ाई को दो भागो में वर्गीकृत किया जा सकता है पहला हाथों से की जाने वाली कढ़ाई और दूसरा मशीन से की जाने वाली कढ़ाई! और यह दोनों ही कहाँ पर और कैसे करनी है इसी पर आधारित होता है! कढ़ाई को शौक से भी किया जाता था जिससे कि हर संस्कृति में अपनी ही कढ़ाई का विकास होना शुरू हो गया और धीरे- धीरे वह कढ़ाई उस संस्कृति की पहचान बन गयी और मशहूर

भी हो गयी! जैसे- जैसे कढ़ाई की पहुँच हर जगह होने लगी वैसे ही

इसे कई शब्दों में जाना जाने लगे जैसे "सुई से की जाने वाली पेंटिंग"

टेक्सटाइल की कई किताबो में कढ़ाई के टांको को संस्कृति के आधार पर भी परिभाषित किया गया है!

ज्यादातर कढ़ाई के टांको को परम्परागत (traditional) और समकालीन (contemporary) में होने वाले कामों में पाया जा सकता है! रुनन्निग स्टीच (running), बेक स्टीच (back स्टीच ) यह एक मजबूत टांका है, स्टेम स्टिच (stem), साटन स्टिच (satin), ब्लैंकेट स्टिच (blanket / buttonhole) यह टांका बटनहोल स्टिच से मिलता जुलता होता है ! क्रॉस स्टिच (cross) ये टांके कपड़े पर X का आकर में बनता है! फीदर स्टिच (feather) इस टांके में एक सीधी लाइन पर साइड (side) में बाई और दाई टांके लगा कर कढ़ाई की जाती है! हेर्रींगबाने स्टिच (herringbone) इसे मछली टांका भी कहते है! वीविंग (weaving) बुनाई और इंटरलैमेंट (interlacement) दो या दो से अधिक धागों को आपस मे होल्ड (hold) करके रखता है!

सांस्कृतिक रूप से बोलना, संस्कृतियों के अंतर्गत आने वाले कई टांके है जो अपने क्षेत्र की पहचान बन गए है जैसे कांथा, फुलकारी, कसूती, सिंधी, कच्छ, काशीदा और बहुत कुछ! कुछ यूरोपियन कढ़ाई भी मशहूर है जैसे ब्लैक वर्क (black work), पैटर्न डार्निंग, (pattern darning) पुल्लेड थ्रेड वर्क (pulled thread work), स्मोकिंग (smoking) और कट वर्क (cut work).

हाथ की कढ़ाई के बारे में अधिक जानने के लिए यह कहानी पढ़ें।

क्विल्टिंग /Quilting

क्विल्टिंग (quilting) एक और निर्माण तकनीक (constructional technique) है जिसमे कपड़े के कच्चे मैटेरियल (raw material) का प्रयोग किया जाता है! यह एक तरह की कला (art) है जिसमे कपड़े की विभिन्न परतों (layers) को आपसे में जोड़ा जाता है फिर उसके ऊपर सिलाई से पैटर्न बनाया जाता है ताकि वह आपस में जुड़ जाये! क्विल्टिंग को हाथों और मशीन दोनों से किया जाता है ! मशीन क्विल्टिंग (machine quilting) आमतौर पर उपलब्ध होती है !

क्विल्टिंग

इस प्रक्रिया में कपड़े की दो परतो (layers) के बीच में सैंडविच (sandwich) जैसा रूप की तरह कच्चा मैटेरियल को भरा जाता है और फिर बाद में उसके ऊपर सिलाई की मदद से पैटर्न बनाये जाते है ! इस प्रक्रिया से ज्यादातर सर्दियों (winter) के लिए रजाई बनाई जाती है ! इस कारण से कभी कभार रजाई को”क्विल्ट" (quilt) का पर्यायवाची भी कहा जाता है! यह जानना भी जरुरी है क्विल्टिंग को कला के रूप देखा गया है जिसको विभिन्न संस्कृतियों में परम्परागत टेक्सटाइल (traditional textile) के नाम से भी विश्वभर में जाना जाता है ! जैसे एशिया (Asia) के बंगाल (Bengal) में परम्परागत तौर पर कंथा की कढ़ाई की जाती है जिसमे पहले हाथों से क्विलिटंग की जाती फिर उसकी सतह को कढ़ाई से सजावट की जाती है! इसी तरह क्विलिटंग का इस्तेमाल घर के अन्य सामान बनाने में भी किया जाता है! जैसे तकिये के कवर (pillow cover), बेड के कवर (Bed cover), पॉट होल्डर (pot holder), टेबल रनर (table runner) आदि ! हाल ही में क्विल्टिंग (quilting) की लिस्ट में नया तरीके का क्विल्टिंग शामिल हुआ है जिसे निट्टेड क्विल्टिंग (knitted quilting) के नाम से जाना जा रहा है उसको स्वेट-शर्ट (sweatshirt) के लिए प्रयोग किया गया है!

हम क्विटिंग के इन साधारण तरीकों के अलावा कुछ रचनात्मक (creative) तरीकों की भी खोज कर सकते है और उनका इस्तेमाल करके क्विल्टिंग को किया जा सकता है! जैसे स्तुफ्फिंग क्विल्टिंग (stuffed quilting), कॉर्डेड क्विटिंग (corded quilting) और पुफ्फिंग क्विल्टिंग (puff quilting) आदि!

ऍप्लिके/Applique

ऍप्लिके (Applique) एक सिलाई की तकनीक (technique) है जिसमें छोटे-छोटे कपड़े को कई आकर (shape) में काट कर एक बड़े कपड़े पर सिला जाता है! जिससे वह एक डिज़ाइन बन जाता है! ऍप्लिके में कतरन (scrape) को हाथ और मशीन दोनों से स्टिच या सिला जा सकता है! ऍप्लिके के काम के पीछे एक विचार था कि कपड़े पर दार्शनिक चित्रों (scenic) को कैसे प्रदर्शित (present) करते है जहाँ पर डिज़ाइन के आधार पर कतरनों को इस तरीके से सिला जाता है कि वे एक चित्र के सभी तत्व (element) को दर्शाते है!

हेमिंग ऍप्लिके-पिपली कला

कतरन के आकर वाले कपड़े को किसी कपड़े के आधार की ऊपरी परत की किनारो पर ब्लैंकेट स्टिच (Blanket stitch) से कवर किया जा सकता है और मशीन से भी ज़िग-जग स्टिच (zig-zag stitch) का इस्तेमाल कर सकते है! फेल्ट (felt) के कपड़े का इस्तेमाल भी इस तकनीक (technique) के लिए किया जाता है! जिससे कि कपड़े के किनारो से कच्चे धागे ना निकल पाए! इस तकनीक का प्रयोग वहाँ पर भी किया जाता है जहाँ कपड़े के मुश्किल आकर के किनारे को लपेटने का विकल्प न हो!

जो आसान आकर की कतरन (scrape) वाले कपड़े होते है ऍप्लिके (applique) के काम में उन कतरन को कपड़े की अंदर वाली तरफ से किनारो को मोड़ कर रखते है यदि ऍप्लिके का कपड़ा उधेड़ने वाला (fraying) होता है तो फिर उस जगह पर उसको तुरपाई (hemming) और ज़िग-जग टांके (zig-zag stitch) की सहायता से सिला जाता है ! भारत के ओडिशा राज्य के जनजातीय (tribal) की कला का मशहूर पीपली कला (pipli art) इसका उत्तम उदाहरण है! जनजातीय कला ऍप्लिके के काम में हाथों से की गयी तुरपाई (hemming) द्वारा प्रकट होती है!

अगर दूसरी ओर देखे तो रोचक (interesting) श्रेणी (category) के ऍप्लिके का काम देखने को मिलेगा जिस का नाम रिज़र्व ऍप्लिके (reserve applique) है! जहाँ किसी कपड़े को किसी आकर में काटा जाता है तो वह खिड़की (window) के आकर के रूप सा दिखाई देता है फिर उस कपड़े जिस पर आकर काटा गया है उसके पीछे (background) में एक अलग तरह का कपड़ा लगा कर उसे जोड़ कर सिला जाता है! इस प्रकार विंडो /खिड़की बाहर की ओर दिखाती है! यदि अगर पीछे की तरफ लगाने वाले कपड़े को विंडो की शेप के हिसाब से काट देंगे तो वह ऍप्लिके के कपड़े जैसे नहीं दिखेगा!

पैच के काम /Patch work

पैच के काम (patch work) और ऍप्लिके (applique) के काम में तुलना करना कभी कभार मुश्किल होता है क्योकि लगभग दोनों ही तकनीक (technique) पैच और कतरन (scrape) पर ही आधारित होती है पैच का काम वह तकनीक होता है जिसमें विभिन्न प्रकार के छोटे -छोटे कपड़े को आपस में जोड़ कर सिला जाता है जिससे वह एक पैटर्न के रूप मे उभर कर आता है!

स्क्रैप पैचवर्क

पैच का काम एक पारंपरिक तकनीक है जिसका अभ्यास यूरोप और एशिया में किया जाता है! पैच का काम ज़्यादा तर ज्यामितिक पैटर्न (geometrical pattern) में होती है जिसमें वर्ग (square) के आकर में छोटे- छोटे कपड़े को जोड़ा जाता है! इसको ऐसी तरकीब (trick) से किया जाता कि किसी बड़े डिज़ाइन को छोटे भागों में बाँट लिया जाता है फिर उस छोटे डिज़ाइन को आपस में सिल कर पहले तैयार कर लेते है फिर उसके हिसाब से बड़े डिज़ाइन को पूरा कर लिया जाता है! यूरोप के सभी जगह पर पैच के काम से पांरपरिक समय से हेयरलूम क्विल्ट (heirloom) को बनाया जाता आ रहा है जिससे वे अपनी विरासत का आंनद भी ले रहे है और यह क्विल्ट वे अपनी आने

वाले पीढ़ी को गिफ्ट (gift) करते है जो कि वह सुरक्षा और उत्साह के

भाव को दर्शाता है!

पैच के काम के और दूसरे भी तरीके है जैसे स्कॉरर्प वर्क (Scrap-work) यहाँ पर बडे -बड़े असंबंधित पैच को आपसे में एक साथ जोड़ा जाता है जिससे की वो एक अमूर्त (abstract) या तो कुछ भी (random) बन जाता है! जो एक नए डिज़ाइन का अविष्कार करता है! जिसका उपयोग कुशन कवर (cushion cover) और टेबल रनर (table runner) बनाने में किया जाता है!

कपड़ें और धागों को रंगना / डाइंग / Fabric & Yarn Dyeing

क्या हम टेक्सटाइल की कल्पना बिना रगों के कर सकते है ! धागों की डाइंग करना और कपड़ें की डाइंग करना दोनों ही टेक्सटाइल क्रस्ट (textile craft) का भाग रहे है ये अटूट है एक दूसरे पर निर्भर रहते है ! जिनको अलग नहीं किया जा सकता है ! वास्तविकता यह है रंग हमेशा से पहली प्राथमिकता रहे है!

बाटिक - वैक्स रेजिस्टेंट डाइंग

किसी भी कपड़े या धागों का चयन करने के दौरान टेक्सटाइल को प्रोडक्शन के समय कई स्तर पर सॉलिड डाई (solid dye) किया जाता है ! रेशे और धागों और कपडे, प्रोडक्ट और क्राफ्ट को रोचक या दिलचसप पैटर्न में डाई (dye) किया जाता है! जिससे उनके सजावट को बढ़ावा मिलता है और सुंदरता निखार के आती है! पैटर्न डाई (patterned dye) का प्रभाव हम कई अन्य तरीकों से प्रोडक्ट में ला सकते है! हालाँकि ज्यादातर श्रेणियाँ को दो भागों में बांटा जा सकता है जैसे रंगरोधी रंगाई / रेसिस्ट डाइंग (resist dyeing) और आरक्षित रंगाई/ रिवडाइंग (reserve dyeing)

रेसिस्ट डाइंग तकनीक में कपड़े के कुछ भाग को रेसिस्ट डाई करने लिए
 
योजना अनुसार कपड़े पर गाँठ (knot) ,ट्विस्ट (twist), तह करना (fold),

इकट्ठा करना gather), धागों से बांधना (tie), क्लिप लगाना (clip), मिट्टी

से प्रिंट (mud print) करना उसी दौरान बाकि का कपड़ा डाई वाले (dye
 
bath) जिस में डाई कर रहे होते है उसकी के पानी में डूबाया गया होता

है !

शिबोरी / टाई-डाई

अगर इन तकनीकों को आगे और देखे तो इसमें स्थानीय कलाओं और उनकी संस्कृति का हुनर देखने को मिलता है जैसे भारत में बंधजे Bandhej in India और थाईलैंड में मदमीस Mudmees in Thailand,), इंडोनेशिया में प्लांगिस (Plangis in Indonesia), और जापान में शिबोरी (Shibori in Japan.)! यह रेसिस्ट तकनीक (resist printing) की प्रक्रिया मुख्याता एशिया के देशों में सदियों से किया जाता आ रहा है! इन सभी संस्कृतियों ने रेसिस्ट प्रिंटिंग (resist printing) में रंगो और पैटर्न के जरिये अपनी एक पहचान छोड़ी है! इस तकनीक में असीमित रंगों और सतह (surface) पर पैटर्न से प्रिंट और डिज़ाइन बनाने की संभावना है!

इसके अतिरिक्त एशिया के टेक्सटाइल के पास यार्न डाइंग की समृद्ध विरासत

है जैसे :- इक्क्त (Ikat), पटोला (Patola), और बंधेज (Bandhej) ! ध्यान

-पूर्वक, जिससे पैटर्न अनुसार कपड़े की बुनाई (weaving) की जाती है!

और दूसरा जो डाइंग क्राफ्ट का वर्ग (category) है वो रिज़र्व डाइंग के नाम से जाना जाता है ! इस प्रक्रिया में रंगीन बैकग्राउंड (background) पर हल्का या सफ़ेद रंग चाहिए होता था तो ऐसे पैटर्न को बनाने के लिए ब्लीच और सॉलिड डाई (bleach and solid dyeing) की प्रक्रिया भी शामिल होती थी ! यह तकनीक (technique) मुख्यता समकालीन (contemporary) फैशन में देखने को मिलती थी जैसे डेनिम!

छपाई / प्रिंटिंग/ Printing

छपाई / प्रिंटिंग को स्थानीय डाइंग के नाम से भी जाना जाता है! प्रिंटिंग एक प्रक्रिया है जिसमें कपड़े पर रंग नियंत्रित ढंग से किया जाता है! ताकि जो जगह पर रंग करना है कपड़े के उसी भाग पर रंग हो सके! यह एक ऐसी तकनीक है जिसका इस्तेमाल कपड़े की सतह की सजावट को बढ़ाने के लिए उपयोग की जाती है और इस तकनीक से बहुत प्रकार के प्रिंट बनाये जा सकते है! इसी के साथ परम्परगत टेक्सटाइल (traditional textile) में हाथों से प्रिंटिंग करनी होती थी तो लकड़ी के ब्लॉक्स (blocks) का इस्तेमाल किया करते थे! लेकिन मॉडर्न टेक्सटाइल में मशीन का इस्तेमाल प्रिंटिंग के लिए होता है! हालाँकि हैंड प्रिंटिंग (hand printing) को काफी पसंद किया जाता है क्योंकि इससे कपड़े पर छोटे -छोटे प्रिंट को बनाने में आसानी होती है!

टेक्नोलॉजी ने कपड़े प्रिंटिंग में नए आयाम को शामिल किया है! जैसे स्क्रीन प्रिटिंग (screen printing) स्टैंसिल प्रिंटिंग (stencil printing) हालाँकि प्रिंटिंग/ छपाई तकनीक का इस्तेमाल टेक्सटाइल क्राफ्ट को उच्च बनाने की क्रिया के लिए और ट्रासंफर प्रिंटिंग (transfer printing) के लिए किया जाता है! इस प्रक्रिया में प्रिंट को पहले हीट से पेपर पर ट्रांसफर किया जाता है और फिर ताप देकर कपड़े पर ट्रासंफर किया जाता है! बाकि और दूसरे प्रिंटिंग प्रक्रियो की तरह इस क्रिया में यार्न (yarn) को स्थानीय डाइंग (localised dyeing) नहीं किया जाता है! इसमें ट्रांसपेरेंट फिल्म (transparent film) को कपड़े की सतह पर इस तरह से ट्रांफर (transferred) किया जाता है कि वह उससे चिपकर छप जाती है!

पेंटिंग /Painting

कपड़े पर की जाने वाली पेंटिंग एक विशेष कला (art) है जिसका इस्तेमाल कपड़े की सतह की सुंदरता को बढ़ाने के लिए किया जाता है! जिसको प्राचीन काल से अधिकतर देखा जा रहा है! भारत में कपड़े पर पेंटिंग की कला को कई आयामों (dimension) में प्रकट किया जाता आ रहा है! जैसे कि हम कई उदाहरण देखते है कि कहानी कहने की कला (story telling) मंदिर पेंटिगं के रूप में (कलमकारी और पतचित्रास) (Kalamkaris and Patachitras) और जनजातिये कला (tribal art) के रूप में जैसे मधुबनी पेंटिंग madhubani painting) होती है यूरोपियन शैली की प्रकृतिक रंगों वाली पेंटिंग के पैटर्न को वस्त्रों और घर के फनीचर के रूप में पूरी दुनिया में आसानी से पहचानें जाते रहे है!

यहाँ दिलचस्प बात यह है की पेंटिंग को स्थानीय डाइंग और प्रिंटिंग के रूप में देखा जा रहा है! इसको करने के तरीके के लिए (paint brush) का इस्तेमाल किया जाता है जो आर्टिस्ट (artist) को आजादी देता है कि वह अपने प्रोडक्ट को प्रिटिंग से कई गुना प्रभावशाली बनाये! इसलिए पेंटिंग एक ऐसी तकनीक है जिसमे काफी संभावनाएँ होती है कि व्यक्ति अपने व्यक्तिगत तौर पर पेंटिंग को कर सके! और पेंटिंग को बनाने में अक्सर काफी समय भी लगता है!

फूल, झालर ,किनारे , ब्राइड्स (चोटियों) / Flowers, Frills, Fringes & Braids

टेक्सटाइल के क्षेत्र में कपड़े से बने वस्तु का निर्माण करने के लिए सीमा नहीं है! कुछ अन्य तरीके ऐसे भी रहे हैं जिनका इस्तेमाल सदियों से कपड़े और कपड़े से जुड़े सामान को बनाने और उनकी सजावट के लिए किया जाता आ रहा है! टेक्सटाइल क्राफ्ट अधूरा है, यदि इनकी चर्चा क्राफ्ट को बनाने की तकनीकों में न किये जाऐ तो! जैसे फूल, झालर, किनारे,ब्राइड्स (चोटियों) इनका इस्तेमाल काफ़ी समय पहले से, कपड़े को सुन्दर बनाने और कपड़े से बने सामान को प्रयोग करने के उद्देश्य को ध्यान में रखकर इन अन्य तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है जिसको निर्माण तकनीक (constructional technique) और सतह की सजावट की तकनीक (surface enhancement technique) का प्रयोग करके बनाया जाता है! यह मिश्रित तकनीकों (miscellaneous techniques) का इस्तेमाल अलग-अलग रूप मे प्रयोग करके डिज़ाइन और प्रोडक्ट की सुंदरता और उपयोगिता को बढ़ाया जा सकता है!

विखंडन /खोलना (deconstruction unravelling)
चोटी, रस्सी (plaited braid rope )
कपड़े का फूल( fabric flowers)

जबकि झालर और किनारी का इस्तेमाल कपड़े के कोने को फिनिशिंग (finishing) देने के लिए किया जाता है! यदि कोई कपड़ा उधड़ रहा हो या खराब हो रहा हो तो उसके लिए किनारे पर प्लेट (pleats), (ruffles )या इकट्ठा करने की तकनीक (gathering) का इस्तेमाल किया जाता है!

जो चोटियों/ ब्राइड्स (Braids) से बनी रस्सियाँ होती है वो कपड़े की कतरन (scrape) की पट्टी होती है जिसको निर्माण तकनीक (constructional) या सतह पर सजावटी वाली तकनीक (surface enhancement technique) का इस्तेमाल करके बनाया जाता है! जिससे बैग के हैंडल (bags handle) को बना सकते है!

इसी तरह कपड़े की कतरन से और कई तरीको का इस्तेमाल करके फूल बनाये जा सकते है जो कि एक डिज़ाइन का बनाने का मुख्य साधन (source) है! जिसका प्रयोग बच्चों के कपड़े की सुंदरता और सजावट बढ़ाने के लिए किया जा सकता है!

कपड़े से बने शिल्प (टेक्सटाइल क्राफ्ट) हमेशा से उभरता हुआ क्षेत्र है जिसका जादू विश्व के हर कोने में है! इसकी रचनात्मकता (creative) असीम (infinite) है! जबकि एक ही ब्लॉग (blog) में टेक्सटाइल क्राफ्ट की सभी तकनीकों को शामिल करना मुमकिन नहीं है! हमने इसमें काफी बार इस्तेमाल में लाये जाने वाले तकनीकों को शामिल करने की कोशिश की है! आप इस पर अपने विचार हमें बताइए! टेक्सटाइल तकनीक में इस्तेमाल टूल्स (tool and equipment) और सामान की जानकारी विवरण में खोज सकते है! यहाँ !

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